येन बद्धो बलि राजा... सही उच्चारण और अर्थ | Correct pronunciation and meaning of mantra Yen baddho Bali raja...

राखी या रक्षाबंधन का पर्व आने वाला है। इस वर्ष यह 22 अगस्त को है। पान में रहने वाले तो इसे पूरे विधि विधान से मनाते आ रहे हैं, लेकिन जो लोग बाहर बस गए हैं, उनमें से कुछ ही इसे मान्य तरीके से मना पाते हैं। इस दिन पुरुष नई जनेऊ धारण करते हैं और पुरोहित या घर के बड़े सबकी कलाइओं में रक्षा सूत्र बांधते हैं। 

यह जो रक्षा सूत्र हाथ में बांधा जाता है, यह राखी नहीं है। इसे मज़ाक में नहीं लेना चाहिए और न ही सजावट का माध्यम बनाना चाहिए। रक्षा सूत्र प्रायः सूती धागे से बना होता है जिसे पूजा के समय देवों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और फिर उस अनुष्ठित धागे को सबके दाहिने हाथ की कलाई में तीन बार घुमाकर उसमें दो गांठें बांधी जाती हैं और फिर बचे धागे को गांठ के बाद तोड़ किया जाता है। रेशम का प्रयोग उचित नहीं है, विशेषकर इसलिए कि रेशम बनाने में निरीह कीटों की हत्या होती है।

रक्षा सूत्र बांधते समय जो मंत्र कहा जाता है, उसका प्रायः गलत उच्चारण होता है। इस पोस्ट में इस दोष को दूर करने का प्रयास किया गया है। आग्रह है कि इसे सही उच्चारण के साथ और इसके अर्थ को मन में रखकर रक्षा सूत्र बाँधें। सही मंत्र इस प्रकार है: 

raksha sutra
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल। 


(त्वामनुबध्नामि का संधि विच्छेद है: त्वाम् अनुबध्नामिअनुबध्नामि के प्रथम भाग में अनु के बदले प्रति या अभि का प्रयोग न करें। बध्नामि की जगह बद्धनामि न कहें। अंत में चल: नहीं, बल्कि चल है। उच्चारण करने में बलि का बली हो जाता है जो स्वाभाविक है।)

अब इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ समझ लेते हैं:

जिससे बांधे गए थे राजा बलि, जो दानवों में श्रेष्ठ थे और महाबलशाली थे, 
उससे तुम्हें बांध रहा/ रही हूँ। हे रक्षे, नहीं हिलना, नहीं हिलना।

रक्षा सूत्र पूजा, मंगल कार्यों और यज्ञ जैसे बड़े धार्मिक अनुष्ठानों के समय बांधा जाता रहा है। भारतीय धर्मशास्त्र एवं पौरोहित्यशास्त्र के अनुसार मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण/ पुरोहित अपने यजमान/ शिष्य को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म (धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष पुरुषार्थ चतुष्टय से है) के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी रक्षासूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, अर्थात् धर्मकार्य के लिए मैं तुम्हें प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद ब्राह्मण/पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। मेरे यजमान/शिष्य की सर्वत्र रक्षा-सुरक्षा करना। 

रक्षा सूत्र के धागे का पीला-गेरुआ होना जरूरी नहीं, लेकिन यह रंग सबसे ज्यादा प्रचलित है। पीला हो तो भी ठीक है। पूर्व में, यह धागा हल्दी के रंग में रंगा जाता था और पूजा के समय रोली आदि की वजह से पीले-गेरुए रंग का हो जाता था। मध्य भारत में इस सूती धागे को मौली या कलावा भी कहा जाता है। 

yen baddho bali raja raksha sutra

रक्षा सूत्र को उतारने की मनाही नहीं है, विशेषकर अगर यह आपके देश-काल के अनुसार फिट नहीं बैठता हो। इसे गंदे हो जाने तक पहन कर रखना उचित नहीं। उतार कर कूड़े में न फेंकें बल्कि अगर आप फूल आदि से देव-पूजन करते हों तो पूजा के अंत की सामग्री के साथ विसर्जित कर दें, अन्यथा शुद्ध बहते जल में या फूल के पौधे की जड़ में या किसी बड़े पेड़ की जड़ में डाल दें जहां गंदगी न पड़ी हो।

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